अन्‍ना हजारे- मॉडर्न युग के स्‍वतंत्रता सेनानी

1201गांधीवादी नेता अन्‍ना हजारे और अभिनेत्री विद्या बालन ने जब अमेरिका के मैनहट्टन में आयोजित इंडिया डे परेड का नेतृत्व किया तो दुनिया भर में अलग-अलग जगह रह रहे भारतीयों ने उन्‍हें सलामी दी। अन्‍ना के नेतृत्‍व में न्यूयार्क में रहने वाले भारतीयों ने स्वतंत्रता दिवस का जश्‍न मनाया और तिरंगा फहराया। यही नहीं अन्‍ना ने नैसडैक शेयर बाजार में कारोबार के शुरुआत के प्रतीक के रूप में वहां लगे घंटे को बजाया। जरा सोचिये अन्‍ना को इतना सम्‍मान क्‍यों दिया जा रहा है? उत्‍तर सिर्फ एक है- अन्‍ना मॉडर्न युग के स्‍वतंत्रता सेनानी हैं, इसलिये। जी हां! इसमें कोई शक नहीं कि अन्‍ना किसी स्‍वतंत्रता सेनानी से कम नहीं, क्‍योंकि जिस तरह महात्‍मा गांधी के नेतृत्‍व में तमाम महापुरुषों और स्‍वतंत्रता सेनानियों ने अंग्रेजों के खिलाफ जंग छेड़ी थी, ठीक उसी प्रकार एक जंग अन्‍ना ने लड़ी और वो थी भ्रष्‍टाचार के खिलाफ। मॉडर्न युग शब्‍द का इस्‍तेमाल हम इसलिये कर रहे हैं, क्‍योंकि बात यहां 21वीं सदी की हो रही है, जब दुनिया के कई देश तेजी से आगे बढ़ रहे हैं, वहीं भारत भ्रष्‍टाचार के दलदल में घुसता चला जा रहा है। अन्‍ना का संघर्ष ही है, जिसकी वजह से उनकी लड़ाई को आजादी की दूसरी लड़ाई का नाम दिया गया
गांधी जी से लेकर सुभाष चंद्र बोस तक तमाम सेनानियों ने अंग्रेज-मुक्‍त भारत का सपना देखा था, अन्‍ना भ्रष्‍टाचार-मुक्‍त भारत का सपना लिये आगे बढ़ रहे हैं। जिस जन लोकपाल बिल की परिकल्‍पना की और उसे साकार रूप दिया, उसे सरकार ने मंजूर नहीं किया। यूपीए सरकार ने अपना लोकपाल बिल बनाया और कहा कि वो अन्‍ना व उनकी टीम की सारी शर्तें नहीं मान सकते। लेकिन अन्‍ना अपने बिल पर अड़े हुए हैं। उन्‍होंने कहा है कि जन लोकपाल के लिये उनकी जंग मरते दम तक जारी रहेगी। अन्‍ना की परिकल्‍पना है कि भारत एक मजबूत राष्‍ट्र के रूप में उभरे और ऐसा तभी संभव हो सकेगा, जब आत्‍मनिर्भर गांव, सामाजिक प्रतिबद्धता और आम आदमी की सक्रिय भूमिका देश को बनाने में होगी। ऐसा तभी संभव होगा जब भ्रष्‍टाचार को हराकर देश के दुर्गम इलाके भी विकास की मुख्‍य धारा से जुड़ सकेंगे। वास्‍तव में देखा जाये तो आज अगर कुछ भी गलत होता है, तो कहीं न कहीं भ्रष्‍टाचार लिप्‍त जरूर दिखाई देता है। रामलीला मैदान से अन्‍ना की हुंकार ही थी, जिसने देश की गली-गली में भ्रष्‍टाचार के खिलाफ आवाज़ को बुलंद किया। अगस्‍त क्रांति के रूप में उभरे अन्‍ना आंदोलन से देश का हर शहर जुड़ा। टीम अन्‍ना से अरविंद केजरीवाल के अलग होने के बाद से अगर आप यह सोच रहे हैं कि अन्‍ना ने हार मान ली है, तो आप गलत हैं। बहुत जल्‍द लोकसभा चुनाव आने वाले हैं और अन्‍ना हजारे अब परदे के पीछे से अपनी भूमिका को निभा रहे हैं। अन्‍ना ने संकल्‍प लिया है कि वो देश की जनता को उन सभी प्रत्‍याशियों को वोट नहीं देने की अपील करेंगे, जो भ्रष्‍ट हैं। अब देखना यह होगा कि अन्‍ना की इस मुहिम से किस-किस के वोट कटते हैं और कौन-कौन लोकसभा पहुंचते हैं।