प्रधानमंत्री के नाम अन्ना की चिट्ठी

प्रति,
मा. श्रीमान मनमोहन सिंह जी,
प्रधानमंत्री, भारत सरकार.
मैने आपको एक पत्र 12 फरवरी 2013 को लिखा था। उस पत्र के जबाब में आपके कार्यालय से श्री वी. नारायण सामी जी के नाम से पत्र डी.ओ.नंबर 407/67/2012-एवीडी/4बी, ता. 9 मई 2013 को भेजा गया, जो मुझे 20 मई 2013 को प्राप्त हुआ।
इस पत्र में लिखा हैं कि, “सिटिजन चार्टर के बारे में आप कृपया 27 अगस्त 2011 को संसद द्वारा पारित संकल्प को याद कर सकते हैं”। मुझे इस बात का दुख हो रहा है कि, 16 अगस्त 2011 को मै जब रामलिला मैदान में अनशन पर बैठा था उस वक्त पुरे देश की जनता करोडों की संख्या में जन लोकपाल की मांग को ले कर सडक पर उतर आई थी और 12 दिनों तक देश के सभी हिस्सों में जन आंदोलन चल रहा था।
“आपके सेहत की चिंता निर्माण हो गई है। आपने जल्दी अनशन छोडना जरुरी है”। आपका ऐसा संदेश आने पर मैने कहा था कि, आप के कहने पर विश्वास करते हुए जल्द से जल्द तीन बातों पर फैसला करें। 1) सिटिजन चार्टर, 2) हर राज्यों में सशक्त लोकआयुक्त बील और 3) वर्ग अ, ब, क, ड के सभी अधिकारी तथा कर्मचारीयों को लोकपाल के दायरे में लाना, इन तीन मुद्दों को संसद में पास करा लो, बाकी बातों पर चर्चा कर के निर्णय ले सकते है”।
इसके मुताबिक आपने 27 अगस्त 2011 को रामलिला मैदान में अनशन की जगह पर मंत्री महोदय श्री विलासराव जी देशमुख के साथ पत्र भेजा था। उस पत्र में लिखा था, “आपने अपने पत्र में उठाये तीन बिंदुओं पर एक रिजोल्यूशन पास किया गया है। आशा है कि आप संसद के रिजोल्यूशन को देखते हुए अपना अनशन अविलंब समाप्त करेंगे और पुनः स्वस्थ होंगे। हम सब आपके स्वास्थ्य की कामना करते है”। आपके इस पत्र पर मैने पुरा विश्वास किया था। कारण उसमें समाज और देश की भलाई थी। जीवन में अपने या अपने परिवार के भलाई का कभी सोचा नही है। दो साल बितने आये है और आज भी आप मुझे यह कह रहे है कि “आप 27 अगस्त 2011 को संसद द्वारा पारित संकल्प को याद कर सकते हैं”। क्या केवल संसद में पारित संकल्प को याद कर हम संतुष्ट रहे? क्या इसीमें हमारी कार्यपूर्ति है?
आज मुझे महसूस हो रहा है कि, जनलोकपाल कानून के लिए जब देश कि करोडो जनता सडक पर उतर आई थी, तब सरकार को शायद खतरे की आशंका हो उठी। इसलिए मेरा अनशन समाप्त करवा कर जनता के साथ कही यह धोखाधडी तो नही की गई? कारण कि संसद में बैठे हिए आप सभी महानुभाव अपनी तनखा बढानी हो, हवाई-रेलयात्रा की सुविधा बढानी हो, निवास की सुविधा जैसी कई सारी सुविधाएँ बढाने के बिल को सर्व सम्मती से एक दिन में पास कर लेते है, लेकिन समाज और देश के भलाई का भ्रष्टातार को रोखनेवाला जनलोकपाल जैसा बिल दो सालों तक पास नहीं होता हैं। वास्तव में जिन तीन मुद्दों पर संसद में रिजोल्यूशन सर्व सम्मती से पास हो गया है, उस पर दो साल बित जाने का मतलब यही हैं कि सरकार की न तो कुछ करने की मंशा है और इच्छाशक्ती का अभाव तो है ही।
राष्ट्रपती पद के चुनाव प्रसंग पर विरोध के होते हुए भी आप की सरकार बहुमत हासिल  कर सकती हैं। एफडीआय का विरोध होते हुए भी बहुमत प्राप्त कर सकती है, वैसेही भ्रष्टाचार को रोखनेवाले जनलोकपाल कानून के लिए बहुमत प्राप्त करना सरकार को असंभव नहीं था। दो साल हो जाने पर भी जनलोकपाल बिल पास नहीं हुआ। इसका स्पष्ट अर्थ निकलता है कि, सरकार ने 120 करोड जनता और अण्णा हजारे के साथ धोखाधडी की हैं। आपने मुझे जो झुठा आश्वासन दे कर मेरा अनशन छुडवाया था, वह मेरा अधिरा अनशन फिरसे उसी रामलिला मैदान पर शुरू करने का निर्णय मैने लिया है। क्यों कि भ्रष्टाचार के कारण जनता कितनी त्रस्त है इसका अंदाजा हमेशा एअरकंडिशन में बैठनेवालोंको नहीं हो पाएगा। भ्रष्टाचार के कारण महंगाई ने चरमसिमा पार कर ली है। अपने परिवार को पालनेवाले आम लोगों के दुख और तकलिफ को आप और आपकी सरकार नहीं समज रही हैं। न महसूस करती हैं। इसलिए मजबूर हो कर मै इस निर्णय पर आ गया हूँ कि जब तक शरीर में प्राण हैं तब तक मै जनलोकपाल कानून के लिए रामलिला मैदान में अनशन पर बैठा रहूँ। जनता का दुख अब मुझे नहीं सहा जाता। मैने मेरा जीवन ही उनके भलाई के लिए समर्पित किया हैं। कुछ ही दिनों में मैं अक्टुबर में होने वाले मेरे अनशन की तारीख निश्चित कर के आपको बताऊंगा।
पंजाब, हरियाना, राजस्थान, उत्तर प्रदेश के 11 जिले और उत्तराखंड के सभी जिलोमें मैने भ्रमण करते हुए लोगों को बताया है कि, “जनलोकपाल बिल के लिए मुझे फिर एक बार रामलिला मैदान पर अनशन करना होगा। इस आंदोलन में आपको भी शामिल होना है”।
अब मेरी जनतंत्र यात्रा चल रही हैं। अभी और पांच राज्यों में जा कर लोगों को जगाऊंगा और फिर अगले पत्र में मै अक्टुबर में होने वाले मेरे अनशन की तारीख बताऊंगा।
धन्यवाद।
भवदीय,
(कि. बा. उपनाम अण्णा हजारे)
राळेगणसिद्धी, दि. 1 जून 2013.