आखिर अन्ना हज़ारे क्या हैं, मानवीय शुचिता के एक प्रतीक, बदलाव लाने वाले एक आंदोलनकारी या भारतीय राजनीति से हताश लोगों की जनाकांक्षा? शायद अन्ना यह सब कुछ हैं. तभी तो इस देश के किसी भी हिस्से में अन्ना चले जाएं, लोग उन्हें देखने-सुनने दौड़े चले आते हैं? उनकी सभाओं में उमड़ने वाली भीड़ को देखकर कई राजनेताओं को रश्क होता होगा. छात्र, युवक, युवतियां, वृद्ध, महिलाएं, समर्पित कार्यकर्ता, किसान, बुनकर हों या डॉक्टर-इंजीनियर, किसी भी राजनीतिक दल की एक दिनी सभा में समाज के इतने अलग-अलग वर्ग के लोग शायद ही शिरकत करते नज़र आएं, लेकिन न जाने अन्ना में ऐसा क्या जादू है, जो हर उस आदमी को अपने पास खींच लाता है, जो इस देश से प्यार करता है, जो इस देश को बर्बाद होते नहीं देखना चाहता और जो इस देश को बचाना चाहता है.