प्रेस रिलीज
प्रख्यात समाजसेवी अन्ना हज़ारे, पूर्व सैन्य प्रमुख जनरल वीके सिंह, वर्ल्ड सूफ़ी काउंसिल के चेयरमैन सूफ़ी जिलानी और चौथी दुनिया के प्रधान संपादक संतोष भारतीय की अगुआई में चल रही जनतंत्र यात्रा 10 मई शुक्रवार को भीलवाड़ा से अजमेर पहुंची.
अजमेर पहुंचकर अन्ना हजारे, जनरल वीके सिंह, सूफी जिलानी और संतोष भारतीय ने सबसे पहले सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर जियारत की. उसके बाद वे तीर्थराज पुष्कर में भी पूजा अर्चना की. शाम साढ़े छह बजे अन्ना हजारे ने अजमेर के आजाद मैदान में विशाल जनसभा को संबोधित किया. अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि उनकी जनतंत्र यात्रा का एकमात्र मकसद देश में व्यवस्था परिवर्तन के लिए लोगों को जागरूक करना है, क्योंकि मौजूदा राजनेताओं को जनता की तकलीफों से कोई वास्ता नहीं है. अन्ना के मुताबिक, उन्हें देश के युवाओं से खास उम्मीद है, क्योंकि अगर नौजवान जागरूक हो जाएं, तो कोई भी भ्रष्टाचारी बैखौफ सड़कों पर नहीं घूमेगा. अन्ना हजारे ने अजमेर की जनता से आह्वान किया कि वे सितबंर माह के प्रथम महीने में दिल्ली जरूर आएं और जनसंसद में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें. उनके अनुसार, जनसंसद विधानसभाओं और संसद से बड़ी है, इसे राजनेताओं को समझना होगा.
वहीं इस मौके पर पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह ने कहा कि जनतंत्र यात्रा का उद्देश्य लोगों को जनतंत्र की ताकत से वाकिफ कराना है. जनरल सिंह के अनुसार, आजादी के साढ़े छह दशक बीत जाने के बाद भी देश की आम जनता तमाम तरह की परेशानियों से त्रस्त है, लेकिन सियासी पार्टियों को इससे कोई मतलब नहीं है. जनसभा को संबोधित करते हुए चौथी दुनिया के प्रधान संपादक संतोष भारतीय ने कहा कि यह देश भ्रष्ट राजनेताओं के दुष्चक्र में फंस चुका है. ऐसे में अन्ना हजारे जैसे गांधीवादी समाजसेवी की ओर जनता उम्मीद भरी निगाहों से देख रही है. उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि राजनीतिक दलों ने न केवल जनता के साथ धोखा किया है, बल्कि इन्होंने संविधान को भी ठेस पहुंचाई है. उनके अनुसार, जनलोकपाल के मुद्दे पर कांग्रेस, भाजपा, बसपा, सपा और वामपंथी पार्टियों ने अंदरूनी एकजुटता दिखाते हुए इस विधेयक को पास नहीं होने दिया. इससे साफ जाहिर होता है कि मौजूदा राजनीतिक पार्टियां भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कुछ भी नहीं करना चाहती, लेकिन उनका यह तिकड़म अब ज्यादा दिनों तक चलने वाला नहीं है. भारतीय के अनुसार, देश में महंगाई, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी से जनता परेशान है और उसे नेताओं से नफरत होने लगी है. हालत यह है कि कई क्षेत्रों के सांसद और विधायक आक्रोशित जनता से बचते फिर रहे हैं. वहीं इस मौके पर सूफी जिलानी ने कहा कि देश की जनता बेशुमार मुश्किलात का सामना कर रही है, लेकिन सियासी पार्टियों को इससे कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि जब सांसदों और विधायकों के वेतन वृद्धि का सवाल आता है, तो सभी पार्टियां एकजुट हो जाती हैं, लेकिन बात जब जनता की आती है, तो यही राजनेता चुप्पी साध लेते हैं.
सूफी जिलानी के अनुसार, दरगाह, मंदिर और मठों में रहने से कोई साधु और संत नहीं हो जाता. असल मायनों में सच्चा संत और सूफी वो है, जो जनता की तकलीफों से व्यथित होकर जनता के बीच आए. अगर देखा जाए तो इस देश का सबसे बड़ा संत अन्ना हजारे हैं, जो न तो गेरुआ वस्त्र दारण करते हैं और न ही माथे पर चंदन या तिलक लगाते हैं. सूफी जिलानी ने मौजूदा केंद्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जनलोकपाल के मुद्दे पर उसने अन्ना और मुल्क करोड़ों लोगों को धोखा दिया. यहां तक कि अन्ना की जनतंत्र यात्रा में बाधा पैदा करने के लिए वे साजिश रच रहे हैं, लेकिन देश की आम जनता जिस तरह अन्ना हजारे के समर्थन में खड़ी है, उसे देखकर यह जरूर कहा जा सकता है कि राजनेताओं की यह मंशा कभी पूरी नहीं होगी. जिलानी ने अजमेर के लोगों से अपील करते हुए कहा कि वे सितंबर महीने में जनसंसद में हिस्सा लेने दिल्ली जरूर आएं.
गौरतलब है कि अन्ना हजारे की अगुआई में चल रही जनतंत्र यात्रा का दूसरा चरण 10 मई को अजमेर में संपन्न हो गया. उनकी यह यात्रा 5 मई को श्रीगंगानगर से शुरू हुई थी.