Press Release

19 जुलाई 2013, नई दिल्ली: मुझसे पत्रकारों ने पूछा कि श्री नरेंद्र मोदी को मैं सांप्रदायिक मानता हूं या नहीं, तो मैंने तुरंत जवाब दे दिया कि मेरे पास कोई सबूत नहीं है इसलिए मैं कुछ कह नहीं सकता. लेकिन समाचार छापा कि अन्ना ने कहा है कि नरेंद्र मोदी सांप्रदायिक नहीं हैं. यह गलत है. इसका मतलब ये नहीं है कि वे सांप्रदायिक है या नहीं है. वे ऐसे दल में हैं जिस दल की यह मान्यता है कि वह एक समुदाय के पक्ष में है और कुछ समुदायों के खिलाफ है, खासकर एक समुदाय के तो बहुत खिलाफ है और ये सर्वविदित है.

अब रहा सवाल मेरे कथन का जिसकी बड़ी चर्चा हो रही है. यह अंदाजा नहीं लगाना चाहिए कि मैंने किसी को संप्रदायिक नहीं है, ऐसा सर्टिफिकेट दे दिया है. सर्टिफिकेट देने वाला मैं कोई नहीं हूं. भारत का संविधान सेकुलर है, धर्मनिर्पेक्ष है. सब पार्टियों को उसी के अनुरुप चलना पड़ेगा जो पार्टियां उसके अनरुप नहीं चलेंगी उनको बहुमत नहीं मिल सकता. एक दल जिस तरह की बात करता है उन बातों से लगता है कि उसका रुझान सांप्रदायिक है. मैं नहीं चाहता कि ये बात मैं व्यक्ति विशेष को लेकर कहूं क्योंकि यह तो उनके पूरे दल का मामला है. भारतीय जनता पार्टी ने तो नरेंद्र मोदी को अपने कैंपेन कमेटी का चेयरमैन बनाया है. वे भारतीय जनता पार्टी का जो मत है उसी को प्रतिबिंबित करेंगे. इसलिए मैं किसी व्यक्ति विशेष की बात नहीं करता. मैं तो देश में जनतंत्र अभियान चला रहा हूं. भ्रष्टाचार के खिलाफ लोगों को जगा रहा हूं. जनतंत्र लाना चाहिए, भष्ट़ाचार हटना चाहिए,

जनलोकपाल का कानून बनना चाहिए और सीबीआई सहित जांच एजेंसियों को स्वतंत्र होना चाहिए. जो भी इलेक्शन के बाद पावर में आए उसे गैर-संप्रदायिक होना चाहिए और अभी जो चल रहा है उससे बेहतर शासन देना चाहिए.

मैं चाहता हूं कि देश में संविधान के अनुसार जनतंत्र आए. देश में जनता का राज हो पक्ष या पार्टी का नहीं. क्योंकि संविधान में पक्ष और पार्टी का जिक्र है ही नहीं. जहां तक मैं जानता हूं मोदी जी ने गोधरा और उसके बाद हुए दंगो का तीव्र निषेध अब तक नहीं किया है. उन्हें मैं सांप्रदायिक नहीं है ऐसा सर्टिफिकेट कैसे दे सकता हूं.

मैं शुरु से सांप्रदायिकता के विरोध में हूं क्योंकि संप्रदायिकता से देश के टूटने का खतरा है.

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अन्ना हजारे